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छूट गया वो हाथ भी

छूट गया वो हाथ भी, टूट गया वो साथ भी अये वक्त तू कब तक मुझे ठुकरायेगा। तोड़ दिया हर रिस्ता नाता, छोड़ दिया परवाह भी आये वक्त तू कब तक मुझे ठुकरायेगा।

रात तू कब पीछा छोड़ेगी

एक छोटा सा दिल था, बस एक ही दीवाना था जो अपना अपना कहती थी बेगानो सा है हाल किया। जब हाथ पकड़ दो पल में ही सारे किस्से कह जाता था वो वक्त न जाने कब रुठ गया वो हाथ न जाने छूट गया छूट चुकी है वो यादें, जो साथ कभी बनाये थे बित चुकीं है वो रातें जो साथ कभी बिताए थे।

कुछ कसमें

भूल तो जाऊ मैं तुमसे किये वादे को। लेकिन तुम सामने आ जाओगी तो क्या कहूंगा।

भूल तो जाऊ

भूल तो जाऊ मैं तुमसे किये वादे को। लेकिन तुम सामने आ जाओगी तो क्या कहूंगा।

एक दौर ऐसा भी आएगा

एक दौर ऐसा भी आएगा, हम गुजरेंगे बहुत करीब से वक़्त चाहे न हो दोनों के पास फिर भी ये वक़्त रोकना चाहेंगे एक दौर ऐसा भी आएगा जब गुजरेंगे बहुत करीब से हम जब भी नजरें उनपे डालें वो आँखे मिलाने से भी कतराएँगी एक दौर ऐसा भी आएगा जब भी चाहेंगे उनके हाथो को थामना वो झट से बात पलट देती हैं। एक दौर ऐसा भी आएगा हम लाखों बातें करते रहते है ताकि कुछ तो बात होती रहे। एक दौर ऐसा भी आएगा वँहा तक तो ठीक है, जब मिलते है। लेकिन वँहा से फिर लौट के  वापस आना कठिन हो जाता है एक दौर ऐसा भी आएगा बहुत कुछ तो भूल गए  अभी बहुत कुछ भूल जाना है क्या करे "भूलना पड़ता है" एक दौर फिर ऐसा आएगा  जब मन की बातें  मन में ही दम तोड़ेंगी न वो हमसे मिलने आएंगे न हम उनसे मिलना चाहेंगे क्योंकि लौट के खाली हाँथ आने का  हिम्मत कहा से लाएंगे एक दौर ऐसा फिर आएगा बहुत हुआ अब मेल मिलाप फिर से अब हम न सह पाएंगे जितना दूरी हो ज्यादा सुकून है अब लौट के जाना तो मुश्किल है। एक दौर ऐसा भी आएगा जाते जाते बस इतना सा रह गया एक बार तो जी भर के देख लेते पलट के ढूंढे मेरी नजर  थोड़ा और जी भर के देख लेते। एक दौर ऐसा फिर आएगा। हम फिर से मिले